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  • Ek gajal maa ke naam
  • Ek gajal maa ke naam
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    पहली बार किसी गज़ल को पढ़कर आंसू आ गए ।
    शख्सियत, ए ‘लख्ते-जिगर’, कहला न सका ।
    जन्नत.. के धनी पैर.. कभी सहला न सका ।
    दुध, पिलाया उसने छाती से निचोड़कर,
    मैं ‘निकम्मा’, कभी 1 ग्लास पानी पिला न सका ।

    बुढापे का सहारा.. हूँ ‘अहसास’ दिला न सका
    पेट पर सुलाने वाली को ‘मखमल, पर सुला न सका ।

    वो ‘भूखी’, सो गई ‘बहू’, के ‘डर’, से एकबार मांगकर,
    मैं सुकुन.. के ‘दो, निवाले उसे खिला न सका ।
    नजरें उन बुढी, आंखों.. से कभी मिला न सका ।
    वो दर्द, सहती रही में खटिया पर तिलमिला न सका ।

    जो हर रोज ममता, के रंग पहनाती रही मुझे,
    उसे दीवाली पर दो जोड़, कपडे सिला न सका ।
    बिमार बिस्तर से उसे शिफा, दिला न सका ।
    खर्च के डर से उसे बडे़ अस्पताल, ले जा न सका ।

    माँ के बेटा कहकर दम, तौडने बाद से अब तक सोच रहा हूँ
    दवाई, इतनी भी महंगी.. न थी के मैं ला ना सका ।

    Sayari
    Posted By - Munish
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